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देवदर्शन

सुबह की शुरुआत,देवदर्शन के साथ...

Chalisa

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|| दोहा || श्री गुरुपद सुमिरण करूँ, गौरीनंदन ध्याय । वरणऊ माता जीण यश , चरणों शीश नवाय ।। झांकी की अद्भुत छवि , शोभा कही न जाय । जो नित सुमरे माय को , कष्ट दूर हो जाय ।। ॥ चौपाई ॥ जय श्री जीणभक्त सुखकारी। नमो नमो भक्तन हितकारी ॥ दुर्गा की तुम हो अवतारा । सकल कष्ट तु मेट हमारा ॥ महाभयंकर तेज तुम्हारा। महिषासुर सा दुष्ट संहारा ॥ कंचन छत्र शिष पर सोहे । देखत रूप चराचर मोहे॥ तुम क्षत्रीधर तनधर लिन्हां । भक्तों के सब कारज किन्हां ॥ महाशक्ति तुम सुन्दर बाला । डरपत भूत प्रेत जम काला ॥ ब्रहमा विष्णु शंकर ध्यावे । ऋषि मुनि कोई पार न पावे ॥ तुम गौरी तुम शारदा काली । रमा लक्ष्मी तुम कपपाली॥ जगदम्बा भवरों की रानी । मैया मात तू महाभवानी ॥ सत पर तजे जीण तुम गेहा । त्यागा सब से क्षण में नेहा ॥ महातपस्या करनी ठानी । हरष खास था भाई ज्ञानी ॥ पिछे से आकर समझाई । घर वापिस चल माँ की जाई॥ बहुत कही पर एक ना मानी । तब हरसा यूँ उचरी बानी ॥ मैं भी बाई घर नहीं जाऊँ । तेरे साथ राम गुण गाऊँ॥ अलग अलग तप स्थल किन्हां । रैन दिवस तप मैं चितदीन्हा ॥ तुम तप कर दुर्गात्व पाया । हरषनाथ भैरू बन छाया ॥ वाहन सिंह खडक कर चमके । महातेज बिजली सा दमके ॥ चक्र गदा त्रिशूल विराजे । भागे दुष्ट जब दुर्गा जागे ॥ मुगल बादशाह चढकर आया । सेना बहुत सजाकर लाया॥ भैरव का मंदिर तुड़वाया । फिर वो इस मंदिर पर धाया ॥ यह देख पुजारी घबराये । करी स्तुति मात जगाये॥ तब माता तु भौरें छोडे । सेना सहित भागे घोड़े ॥ बल का तेज देख घबराया । जा चरणों में शीश नवाया ॥ क्षमा याचना किन्हीं भारी । काट जीण मेरी सब बेमारी ॥ सोने का वो छत्र चढ़ाया । तेल सवामन और बंधाया ॥ चमक रही कलयुग में माई । तीन लोक में महिमा छाई॥ जो कोई तेरे मंदिर आवे । सच्चे मन से भोग लगावे॥ रोली वस्त्र कपूर चढ़ावे । मनवांछित पूर्ण फल पावे ॥ करे आरती भजन सुनावे । सो नर शोभा जग में पावे ॥ शेखा वाटी धाम तुम्हारा । सुन्दर शोभा नहीं सुम्हारा ॥ अश्विन मास नौराता माही । कई यात्री आवे जाही ॥ देश – देश से आवे रेला । चैत मास में लागे मेला ॥ आवे ऊँट कार बस लारी । भीड़ लगे मेला में भारी ॥ साज – बाज से करते गाना । कई मर्द और कई जनाना ॥ जात झडुला चढे अपारा । सवामणी का पाऊ न पारा ॥ मदिरा में रहती मतवाली । जय जगदम्बा जय महाकाली ॥ जो कोई तुम्हरे दर्शन पावे । मौज करे जुग – जुग सुख पावे ॥ तुम्ही हमारी पितु और माता । भक्ति शक्ति दो हे दाता ॥ जीण चालीसा जो कोई गावे । सो सत पाठ करे करवावे। ॥ मैया नैया पार लगावे । सेवक चरणों में चित् लावे ॥ || दोहा || जय दुर्गा जय अंबिका जग जननी गिरी राय । दया करो हे चंडिका विनऊ शीश नवाय ॥